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दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर: कब है धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
छवि स्रोत: फ्रीपिक दिवाली 2022 दिनांक कैलेंडर दिवाली सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। दीपावली वीकेंड नजदीक आने के साथ ही बाजार, घरों और गलियों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। रंग-बिरंगी रोशनी से कई घरों को सजाया जा चुका है और हिंदू भक्त इस शुभ अवसर पर देवी लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं। दिवाली हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आती है और राजा रावण को हराकर…
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धनतेरस 2022 सही तिथि
दिवाली से दो दिन पहले आता है धनतेरस | असल मैं इस दिन देवाताओं के वैद्य धन्वंतरी की जयंती मनाई जाती है |इस दिन और लोग शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी, बर्तन और प्रॉपर्टी ख़रीदती हैं| यह महूर्त बहुत शुभ होता है आप जो भी खरीदते हैं उसमे बढ़ोतरी होती है| धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाते हैं.लेकिन इस बार महूरत की वजह से लोग नहीं जानती के धनतेरस कब है | काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर को है या फिर 23 अक्टूबर को. धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त क्या है और धन त्रयोदशी पर कौन सा योग बन रहा है?
धनतेरस 2022 सही तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 22 अक्टूबर दिन शनिवार को शाम 06:02 बजे से होगा और यह तिथि अगले दिन 23 अक्टूबर की शाम 06:03 बजे तक है|
धनतेरस की तिथि का प्रारंभ 22 अक्टूबर को हो रहा है और समापन 23 अक्टूबर को हो रहा है, इसलिए लोगों में तारीख को लेकर भ्रमित है कि धनतेरस किस दिन मनाया जाए 22 अक्टूबर को या 23 अक्टूबर को.
ऐसे में इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त कब है| इस साल लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 22 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है और 23 अक्टूबर को प्रदोष काल के प्रारंभ होते ही त्रयोदशी तिथि खत्म हो जा रही है. इस वजह से इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन ही धन्वंतरी जयंती भी होगी|
इस साल धनतेरस पूजा का मुहूर्त
22 अक्टूबर को धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 07 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक है. इस दिन धनतेरस पूजा के लिए आपको करीब सवा घंटे का शुभ समय प्राप्त होगा. इस दिन शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और परिवार की उन्नति होती है.
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त तथा धनतेरस पूजा का मुहूर्त : 22 अक्टूबर शाम 5 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक|
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Bhai Dooj 2022 Gifts: भाई दूज पर बहनों को राशि के अनुसार दें गिफ्ट्स
Bhai Dooj 2022 Gifts: भाई दूज पर बहनों को राशि के अनुसार दें गिफ्ट्स
भाई दूज पर बहनों को राशि के अनुसार दें गिफ्ट्स Bhai Dooj 2022 Gifts Bhai Dooj 2022 Gifts: हिंदू धर्म में दिवाली का त्योहार 5 दिन तक मनाया जाता है. जिसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती है और भाई दूज पर इसका समापन होता है. भाई दूज पर भाई अपनी विवाहित बहनों के घर टीका करवाने जाते हैं. इस दौरान बहन भाई को टीका लगाकर नारियल का गोला देती है और उसके बाद भोजन करवाती है. इस पर्व पर भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन…
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मात्र 3 रुपये है 20 रुपये में मिलने वाले फूल माले की कीमत, जानें कैसे मार्केट में आते ही 7 गुना बढ़ जाती है कीमत
मात्र 3 रुपये है 20 रुपये में मिलने वाले फूल माले की कीमत, जानें कैसे मार्केट में आते ही 7 गुना बढ़ जाती है कीमत
Dark Mode गढ़मुक्तेश्वर से आए किसान संदीप कुमार ने बताया कि तीन दिन से गाजीपुर फूल मंडी में ही रह रहे हैं. तकरीबन 25 बीघा में उनके परिवार वालों ने फूलों की खेती कर रखी है. 100 से अधिक किसान सपरिवार यहीं जमे हुए हैं. सुमन कुमार चौधरी | Edited By: वेंकटेश कुमार Updated on: Oct 25, 2022, 4:57 PM IST धनतेरस से लेकर दिवाली तक दिल्ली- एनसीआर में हजारों टन फूलों की बिकवाली हुई, लेकिन किसानों को कोई…
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फेस्टिव ये सरकारी बैंक ऑफर इस सबसे सस्ते कार और होम लोन! जाँच करें
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त्योहारी सीजन 2022 में बैंक लोन ऑफर: भारत में इस दिवाली का फेस्टिव सीजन स्थिर है। फेस्टिव मौसम में. धनतेरस से छत तक कार, संपत्ति, सोना, पर्यावरण प्रबंधन में प्रबंधन। Source link
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💰 धनतेरस - Dhanteras
❀ कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। ❀ भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। ❀ धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं, इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। ❀ हिंदू वैष्णव सम्प्रदाय श्री धनवन्तरी को भगवान विष्णु का 17वें अवतार तथा देवों के वैध व प्राचीन उपचार पद्दति आयुर्वेद के जनक मानते हैं। ❀ भगवान धनवन्तरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। ❀ जैन आगम में धनतेरस को धन्य तेरस या ध्यान तेरस भी कहते हैं ।
धनतेरस के दिन की पूजा विधि | धनतेरस के दिन क्या करें? | धनतेरस के दिन का महत्व.. 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/dhanteras
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धनतेरस से लेकर भाईदूज तक त्योहार के भोजन में नहीं बनानी चाहिए ये 5 चीजें #news4
Diwali 2022: दिवाली का पांच दिनी उत्सव धनतेरस से प्रारंभ होकर भैई दूज पर समाप्त होता है। इन दिनों में ढेर सारे मीठे, नमकीन और चटपटे पकवान बनाए जाते हैं। धनतेरस से लेकर भाई दूज तक का समय सभी देवी और देवताओं की पूजा करने और उन्हें पकवान अर्पित करने का रहता है। यदि आप पकवान बना या खा रहे हैं तो इन दिनों में भूलकर भी इन 5 चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। 1. तामसिक भोजन : इन दिनों में मांस, मटन, चिकन…
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Diwali 2022 Lucky Zodiac: दिवाली से शुरू होगी इन राशियों पर मां लक्ष्मी की कृपा, चेक करें अपनी राशि
Diwali 2022 Lucky Zodiac: दिवाली से शुरू होगी इन राशियों पर मां लक्ष्मी की कृपा, चेक करें अपनी राशि
Diwali 2022: दिवाली से इन राशियों के अच्छे दिन शुरू होंगे. Diwali 2022 Lucky Zodiac Sign: दिवाली का त्योहार धनतेरस के दिन से शुरू हो जाता है. इस साल दिवाली (Diwali Horoscope) 24 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रही है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिपावली (Diwali Date 2022) का त्योहार, प्रत्येक साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि में मनाई जाती है. इस बार तिथि का लोप होने के कारण छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) और…
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(Dhanteras 2022) धनतेरस का दिवाली में बहुत महत्व है आइये जानते है की इस वर्ष 2022 में धन��ेरस की पूजा का मुहूर्त व पूजा विधि क्या है...
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शुभ दीपावली -दिवाली 2022 - Happy Diwali - Why We Celebrate Diwali
Designer Uday ShankarOctober 11, 2022
दीपावली की उत्पत्ति संस्कृत के दीप (दीपक) और वली (पंक्ति) के शब्दों से हुई है। इसका शाब्दिक अर्थ है "रोशनी की पंक्ति"। इस पर्व को मिट्टी के दीये जलाकर मनाया जाता है।
दिवाली या दीपावली पूरे देश में रोशनी का त्योहार है। कार्तिक के महीने में मनाया जाने वाला रोशनी का त्योहार आमतौर पर धनतेरस से शुरू होकर पांच दिनों तक चलता है, उसके बाद नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), लक्ष्मी पूजन (बड़ी दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज होता है।
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हैप्पी दिवाली 2022: शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी इमेज, फेसबुक और व्हाट्सएप स्टेटस
हैप्पी दिवाली 2022: शुभकामनाएं, उद्धरण, संदेश, एचडी इमेज, फेसबुक और व्हाट्सएप स्टेटस
छवि स्रोत: फ़ाइल छवि हैप्पी दिवाली 2022 हैप्पी दिवाली 2022: दीपावली को लेकर त्योहारों का दौर शुरू हो चुका है। रोशनी का त्योहार भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इस वर्ष यह 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस शुभ दिन पर, लोग नए कपड़े पहनते हैं, अपने घर को रोशनी और दीयों से सजाते हैं और साथ ही अपने परिवार और प्रियजनों की समृद्धि और खुशी के लिए देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। दिवाली,…
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Dhanteras Shopping 2022 : धनतेरस के दिन क्यों ख़रीदे जाते है बर्तन
Dhanteras Shopping 2022 : धनतेरस के दिन क्यों ख़रीदे जाते है बर्तन
Dhanteras Shopping 2022 – दीपों का पर्व दिवाली जिसके आने में केवल कुछ ही दिन अब शेष बचे है। ��नतेरस के साथ ही दिवाली के पर्व का शुभ आरम्भ हो जाता है। हमारे शास्त्रों में धनतेरस से जुड़ी कई मान्यताएं है। कहते है खरीदारी के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सभी लोग सोना , चांदी और खासतौर पर बर्तन की खरीदारी जरूर ही करते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन आप भी खरीदते है…
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शुभ दीपावली -दिवाली 2022 - Happy Diwali - Why We Celebrate Diwali
दीपावली की उत्पत्ति संस्कृत के दीप (दीपक) और वली (पंक्ति) के शब्दों से हुई है। इसका शाब्दिक अर्थ है "रोशनी की पंक्ति"। इस पर्व को मिट्टी के दीये जलाकर मनाया जाता है।
दिवाली या दीपावली पूरे देश में रोशनी का त्योहार है। कार्तिक के महीने में मनाया जाने वाला रोशनी का त्योहार आमतौर पर धनतेरस से शुरू होकर पांच दिनों तक चलता है, उसके बाद नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), लक्ष्मी पूजन (बड़ी दिवाली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज होता है।
दिवाली मनाने के बारे में 7 रोचक तथ्य
सबसे लोकप्रिय परंपरा के अनुसार, दीवाली को उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब देवी लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था, देवताओं और राक्षसों द्वारा दूध के ब्रह्मांडीय म��ासागर का मंथन। दिवाली की रात लक्ष्मी ने विष्णु को अपने पति के रूप में चुना और दोनों पवित्र विवाह में बंध गए।
रामायण के अनुसार, भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण अंततः 14 साल का वनवास बिताने और राक्षस राजा रावण को हराने के बाद अयोध्या लौट आए। दिवाली उनके घर लौटने का प्रतीक है।
महाकाव्य महाभारत में, पांच पांडव भाइयों को जुए में एक शर्त हारने के लिए धोखा दिया गया था, जिसके बाद कौरवों ने उन्हें 12 साल के लिए निर्वासित कर दिया था। महाकाव्य के अनुसार, दिवाली वह दिन है जिस दिन पांडव कार्तिक अमावस्या की रात हस्तिनापुर लौटते हैं।
सिख धर्म में, दीवाली मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा गुरु हरगोबिंद की रिहाई की घटना से संबंधित है।
जैन धर्म में, महावीर की आत्मा के अंत में निर्वाण प्राप्त करने की वर्षगांठ मनाने के लिए दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
पश्चिमी भारत के कुछ राज्यों में, जैसे कि गुजरात, दिवाली का त्योहार एक नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।
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इन 5 राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ है दिवाली, हमेशा बनी रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा
इन 5 राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ है दिवाली, हमेशा बनी रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा
इन 5 राशि के जातकों के लिए बेहद शुभ है दिवाली इन राशि वालों को माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होगी. Happy Diwali 2022 : त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है.शुभ है दिवाली शारदीय नवरात्र के बाद 5 अक्टूबर को दशहरा, 13 अक्टूबर को करवा चौथ, 23 अक्टूबर को धनतेरस और 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी. इसके बाद 26 अक्टूबर को बुध ग्रह गोचर करके तुला राशि में प्रवेश करने वाले हैं. कुछ राशि वालों के लिए बुद्ध का…
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Diwali 2022 | Laxmi Puja Shubh Muhurat | Jaane Diwali Ke 5 Days Ka Mahatav दिवाली 2022 | लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त | जाने दीवाली के 5 दिन का महत्व
According to Indian Hindu tradition, the festival of Diwali is celebrated with great enthusiasm every year on the new moon day of Kartik month. This festival is world-famous due to its cultural tradition. Diwali proclaims the victory of light over darkness. On this day Mahalakshmi is worshiped in every house and the festival is celebrated, lamps are lit in every house for happiness and prosperity.
भारतीय हिन्दू परंपरा के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का त्यौहार बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार अपनी सांस्कृतिक परंपरा के कारण विश्व प्रसिद्ध है। दीपावली,अंधकार पर प्रकाश की विजय का उद्घोष करता है। इस दिन हर घर में महालक्ष्मी का पूजन होता है और उत्सव मनाया जाता है। हर घर में दीप जलाए जाते हैं।
Why Is Diwali Celebrated?सियाराम और लक्ष्मण जी की अयोध्या वापसी | Siyaram And Lakshman Ji Returned To Ayodhya
On this day Lord Shri Ram came back to Ayodhya with Mata Sita and Lakshman Ji after fourteen years of Vanvas and the people of Ayodhya welcomed Lord Ram by lighting up the entire city of Ayodhya with lamps, singing the hymns. From that day till today, lamps are lit from house to house on this date which is known as Deepawali.
पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस आये थे। तब पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से उजियार करके,मंगलगान करके अयोध्यावासियों ने भगवान का स्वागत किया था। उस दिन से आज तक इस तिथि पर घरों घर दीप जलाए जाते हैं जिसे दीपावली के नाम से जाना जाता है।
दीपावली का अर्थ | Meaning Of Deepawali
Deepawali means a row of lamps. This is the oldest festival celebrated in autumn. People of almost every religion celebrate this festival together, so it is a messenger of social harmony. The moon does not emerge on the new moon day, due to which the darkness of the night becomes deeper, so the negativity of that darkness is eliminated by the light of lamps.
दीपावली का अर्थ दीपों की पंक्ति होता है। शरद ऋतु में मनाया जाने वाला ये सबसे पुरातन त्यौहार है। इस त्यौहार को लगभग हर धर्म के लोग साथ मिलकर मनाते हैं इसलिए यह सामाजिक सद्भाव का संदेशवाहक है। अमावस्या के दिन चंद्रमा नही निकलता जिससे रात का अंधकार और गहरा हो जाता है,इसलिए उस अंधकार की नकारात्मकता को दीपकों के उजाले से खत्म किया जाता है।
दीपावली का त्यौहार कितने दिन का होता है?
2022, इस साल दिवाली 24 अक्टूबर 2022, सोमवार को आ रही है. धनतेरस से भाई दूज तक करीब 5 दिनों तक दिवाली का त्योहार भारत और नेपाल और दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है.
This year; 2022, Diwali is on Monday, 24th October 2022. The festival of Diwali is celebrated in India, Nepal, and many countries of the world for about 5 days from Dhanteras to Bhai Dooj.
दीपावली के पांच त्यौहार कैसे, कब और क्यों मनाया जाते है | How, When And Why Five Festivals Of Deepawali Are Celebrated?
The festival of Deepawali is celebrated for five whole days starting from the Trayodashi of Krishna Paksha of Kartik month till the second date of Shukla Paksha of Kartik month. Before Diwali, preparations for cleanliness, colour-painting, lighting arrangements start in the houses. Everyone’s house gets colored together, due to which a positive attitude of the person starts forming before this festival. After which Diwali is celebrated with great enthusiasm. The festival of Diwali is also celebrated in Buddhism, Sikhism and Jainism.
दीपावली का त्यौहार पूरे पांच दिन मनाया जाता है जो कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि तक मनाया जाता है। दीपावली के पहले से ही घरों में साफ-सफाई,रंग-रोगन,प्रकाश व्यवस्था की तैयारी होने लगती है। सभी के घर एक साथ रंग जाते है जिससे इस त्यौहार के पहले ही व्यक्ति का सकारात्मक दृष्टिकोण बनने लगता है। जिसके बाद बड़ी उमंग के साथ दीपावली मनाई जाती है। दीपावली के त्यौहार को बौद्ध,सिख और जैन धर्म में भी मनाया जाता है।
पहला दिन | First Day - धनतेरस | Dhanteras
कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। इसी दिन समुद्र मंथन के समय भगवान ��न्वंतरि औषधि युक्त अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन को धनतेरस कहा जाता है। इस दिन धन खर्च करने पर 13 गुना ज़्यादा फल मिलता है। लोग नए वाहन,आभूषण,घरेलू सामान खरीदकर घर लाते हैं और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं। इस दिन को भारत में राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
हमारा लेटेस्ट ब्लॉग पढ़ें धनतेरस पर और जानें कि धनतेरस पर अपनी राशि के अनुसार क्या खरीदें।
The festival of Dhanteras is celebrated on the Trayodashi date of Kartik month. On this day, during the churning of the ocean, Lord Dhanvantari had appeared with a pot of nectar containing medicine, hence this day is called Dhanteras. Spending money on this day gives 13 times more fruit. People buy new vehicles, jewelry, and household items and bring them home and worship Lord Dhanvantari. This day is also celebrated as National Ayurveda Day in India.
Read our blog on Dhanteras and Know what to buy according to your Zodiac on Dhanteras.
दूसरा दिन | Second Day - रूपचौदस - नरक चतुर्दशी | Rupchaudas - NarakChaudas
दीपावली का दूसरा दिन रूपचौदस का होता हैं| महिलाएं इस दिन घरों में बेसन से बने उबटन लगाती हैं, अपने रूप को निखारती हैं जिसके कारण इसे रूपचौदस कहा जाता हैं| इस दिन को छोटी दीवाली भी कहते है | सभी इ�� दिए लगते है, रंगोली बनाते है |
कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन नरक चतुर्दशी मनाने की परम्परा है। धनतेरस के दूसरे दिन मनाए जाने वाले इस महत्वपूर्ण त्यौहार को छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मारकर 16108 कन्याओं को उसके बंधन से छुड़ाया था और उनके सम्मान की रक्षा के लिए सभी को अपनी पटरानी का दर्ज़ा दिया था। इस खुशी में भारी उत्सव किये गए। तब से लेकर आज तक इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शाम को यम देव के नाम से दीपक जलाए जाते हैं।
Roop Chaudas is the second day of Diwali. On this day, women apply ubtan made of gram flour in their homes, to enhance their appearance, hence it is called Roopchaudas. This day is also called Choti Diwali. Everyone lights a lamp / Diya in the home and makes Rangoli.
Narak Chaturdashi- There is a tradition of celebrating Narak Chaturdashi on the Chaturdashi of Kartik month. Celebrated on the second day of Dhanteras, this important festival is also called Chhoti Deepawali.
On this day Lord Krishna killed Narakasura and freed 16108 girls from his bondage and to protect their honor, gave everyone the status of his wife. Huge celebrations were held in this joy. Since then till today this day is celebrated as Narak Chaturdashi. On this day in the evening, lamps are lit in the name of Yama Dev.
तीसरा दिन | Third Day - दीपावली | Deepwali
तीसरे दिन दिवाली बड़ी धूम धाम से मनाई जाती है | कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजन का विशेष महत्व है। हिन्दू परम्परा के अनुसार यह पौराणिक त्यौहार भारत ही नही विश्व के कई देशों में स्थानीय परम्परा के अनुसार मनाया जाता है। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक दीपावली का त्यौहार हमारे जीवन में सुख,समृद्धि और सकारात्मकता लाता है। इस दिन लोग एकदूसरे के घर दीपक जलाकर द्वार पर रखते है जो यह संदेश देता है कि आपके जीवन में हमेशा प्रकाश रूपी सुख बना रहे।
We celebrate Diwali / Deepawali with great joy and happiness on the third day.
The festival of Deepawali is celebrated on the new moon of Kartik month. Worship of Goddess Lakshmi has special significance on this day. According to Hindu tradition, this mythological festival is celebrated not only in India but in many countries of the world according to the local tradition. The festival of Diwali, symbolizing the victory of truth over falsehood, brings happiness, prosperity and positivity in our lives. On this day, people keep lamps at the door of each other’s house, which gives the message that happiness in the form of light should always remain in your life.
चौथा दिन | Fourth Day - गोवर्धन पूजा | Govardhan Puja
चौथे दिन गोवर्धन और धोक पड़वा के रूप में मनाया जाता हैं| इस दिन सभी लोग अपने घर के बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं और इस दिन गौ माता की भी पूजा की जाती हैं | दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल की प्प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा का विधान है। भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की अतिवृष्टि के प्रकोप ��े बृज वासियों को बचाने के लिए अपनी कनिष्का उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था। इस दिन गोवर्धन पर्वत के साथ गौमाता के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उनकी पूजा भी की जाती है। इस दिन लोग गाय के गोबर से अपने घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा करते हैं। गाय और बैल को नहला कर उन्हें सजाया जाता है और पूजा की जाती है।
The fourth day is celebrated as Govardhan and Dhok Padwa. On this day all people take blessings from the elders of their house and on this day cow mother is also worshiped. On the second day of Deepawali, on the Prapratipada date of Kartik Shukla, there is a law of Govardhan Puja or Annakoot Puja. Lord Shri Krishna wore the Govardhan mountain on his Kanishka finger to save the people of Brij from the wrath of Indra’s excessive rain. On this day, along with the Govardhan mountain, she is also worshiped to show respect to Gaumata. On this day people worship by making Govardhan mountain in the courtyard of their house with cow dung. Cows and bulls are bathed and decorated and worshipped.
पाँचवा दिन | Fifth Day - भाईदूज | Bhaidooj
दीपवाली का आखिर दिन भाईदूज का पर्व होता है | यह भाई-बहन के प्रेम त्यौहार हैं | इस बहन अपने भाई टिका लगाकर उसके लम्बी उम्र की कामना करती हैं और भाई अपनी बहन को गिफ्ट देते है | कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन को यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। कथाओं के अनुसार यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर पर बुलाकर भोजन करवाया था तब से शुरू हुई इस परम्परा के अनुसार इस दिन बहने अपने भाइयों को भोजन करवाती हैं और माथे पर तिलक लगाकर उसके स्वास्थ और सुखी जीवन की कामना करती हैं। यह त्यौहार भाई बहन के अटूट बंधन को और अधिक मजबूत करता है।
The last day of Deepawali is the festival of Bhai Dooj. It is the love festival of brother and sister. This sister prays to her brother for his long life and the brothers give gifts to their sisters as a token of love. The festival of Bhai Dooj is celebrated on the second day of Govardhan Puja i.e. on the second day of Shukla Paksha of Kartik month. This day is also called Yama Dwitiya or Brother Dwitiya. According to the legends, Yamuna had invited her brother Yama to her house and fed them food. According to this tradition, sisters feed their brothers on this day and apply tilak on their foreheads and pray for their healthy and happy life. This festival further strengthens the unbreakable bond of brother and sister.
दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है | How Is Diwali Celebrated?
दीपावली के दिन सुबह से ही घरों को फूल मालाओं से सजा दिया जाता है। शाम को धन की देवी महालक्ष्मी और धन के देव कुबेर की पूजन की जाती है। इसके बाद लोग प्रसाद लेकर आसपड़ोस में व अपने परिचितों के घर शुभकामनाएं लेकर पहुंचते हैं। इसके बाद रात्रि में साधक लोग धन ऐश्वर्य और परिवार की समृध्दि और विशिष्ट सिद्धियां प्राप्त करने के लिए महालक्ष्मी जी की साधना करते हैं। यह बड़ा ही शुभ दिन होता है। जिसकी ऊर्जा से मानसिक और शारिरिक रूप से व्यक्ति मजबूत बनता है।
Houses are decorated with flower garlands on the day of Diwali. In the evening, the goddess of wealth Mahalakshmi, and the god of wealth Kuber are worshipped. After this, people take prasad in the neighborhood and reach the house of their acquaintances with best wishes. After this, in the night, seekers do the sadhana of Mahalakshmi Ji to get wealth, prosperity, family prosperity, and special accomplishments. This is a very auspicious day. With whose energy a person becomes strong mentally and physically.
सनातन हिन्दू धर्म का अद्भुत त्यौहार - दीपावली | Festival Of Lights
सनातन हिन्दू परम्परा का यह अद्भुत त्यौहार दीपावली पूरा विश्व अपनी-अपनी परम्परा और संस्कृति के अनुसार मनाता चला आ रहा है। जो कि सामाजिक समन्वय को दर्शाता है साथ ही असत्य पर सत्य की और अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देता है। दीपावली का त्यौहार पूरे पांच दिनों तक मनाया जाता है। जो कि हर दिन अलग-अलग विधान के अनुसार मनाया जाता है।
This wonderful festival of Sanatan Hindu tradition, Deepawali, is being celebrated by the whole world which depicts social harmony as well as gives the message of victory of truth over untruth and light over darkness. The festival of Diwali is celebrated for five whole days.
जानें दिपावली का शुभ मुहुर्त | Shubh Mahurat For Laxmi Puja On Diwali -
प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दिवाली का महापर्व मनाया जाता है। रोशनी का यह पर्व देशभर में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। सुख-समृद्धि का प्रतीक दीपावली के इस पर्व में मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती।इस दिन दियों की रोशनी से सारे घर को रोशन किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री राम लंकापति रावण का वध करने के साथ चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण की आने की खुशी पर पूरे अयोध्या को घी के दीपों से सजाया गया था। तभी से ये दिवाली का पर्व मनाना शुरू हुआ था।
दिवाली 2022 की तिथि - Diwali Date
दीपावली की तिथि- 24 अक्टूबर 2022
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि –23 अक्टूबर 2022 शाम 6:04 मिनट से 24 तारीख को शाम 5:28 मिनट तक
कृष्ण पक्ष की अमावस्या-24 तारीख को शाम 5:28 मिनट से 25 अक्टूबर शाम 4:18 मिनट तक
शुभ महुर्त - Shubh Mahurat
लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त –24 अक्टूबर शाम 06:53 से रात 08:16 तकअभिजीत मुहूर्त-24 अक्टूबर सुबह 11:19 से दोपहर 12:05 तकविजय मुहूर्त-24 अक्टूबर दोपहर 01:36 से 02:21 तक
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